वहा नज़ारा क्या होगा जहा तेरा मुकाम होगा
उस वक़्त को हम भी देखे गे जब फलक से टूटता तारा तेरा निशा होगा
शायद वोह भी फना हो जायेगे तेरी मोहोबत का वोह असर होगा
बात इतनी सी थे की तुम्हे इश्क था और उन्हें कहा तो होता
वोह गुम सा खड़ा तेरी मजार पर सोचता है
इश्के ईलम तेरा होता तो अरजो मे दिल तो मेरा भी धडकता होता
बस सोचता हु वहा नज़ारा क्या होगा जहा तेरा मुका होगा
वोह अश्क भी सूख जाये गे तेरे प्यार का वोह असर होगा
आज तेरी दूरी फिर भी कट जायेगे
पर उस मुकाम से लोटना मुश्किल होगा........
Amit
4 comments:
thanks kr mera or un shayr ka....
thanks thanks ji.. Inspiration means alot!
हिंदी कविता में भी पारंगत, gr8
kya baat hai.
Post a Comment